तुम देर रातां तक ख़यालों में दौड़ीं। तुम देर रातां तक ख़यालों में दौड़ीं।
यहाँ तुझे भूलने की कोशिश में मैं वहाँ और याद आ रहा हूँ । यहाँ तुझे भूलने की कोशिश में मैं वहाँ और याद आ रहा हूँ ।
ये ज़हर मुट्ठीभर रोज़ मेरे घर भड़की ख़बरों में लिपटा आता है। ये ज़हर मुट्ठीभर रोज़ मेरे घर भड़की ख़बरों में लिपटा आता है।
सूखे शजर बता रहे हैं आसां क़त्ल का रास्ता। सूखे शजर बता रहे हैं आसां क़त्ल का रास्ता।
मगर मन की टंकी है कि भरती ही नहीं। मगर मन की टंकी है कि भरती ही नहीं।
खुद डब के समंदर देख किस्सा-निगारी पे न जा। खुद डब के समंदर देख किस्सा-निगारी पे न जा।